कलेक्टर ने विकास के खाके पर की रायशुमारी‚ कहा- चुनौतियों से लोहा लेते तरक्की के नए सोपान तय करने की कोशिश
पंकज दाउद @ बीजापुर। संवेदनशील इलाके और विषम भौगोलिक हालातों के बीच जिले ने हर क्षेत्र में तरक्की के नए सोपान तय करने की कोशिश की है और इसमें कामयाबी भी मिली है। तर्रेम सरीखे गांव से बस सेवा की मांग भी इस बात का एक पैरामीटर है कि अंदरूनी इलाके के लोग भी अब तरक्की की तरफदारी करने लगे हैं।
यहां कलेक्टोरेट के सभागार में शुक्रवार की शाम कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने पत्रकारों से जिले के विकास कार्यों और भावी कामकाज पर चर्चा और रायशुमारी की। उन्होंने कहा कि पिछले सालभर जिला चुनौतियों से निपटता रहा । चाहे वह कोरोना हो या नैसर्गिक अवरोध।
चूंकि बीजापुर जिला महाराष्ट्र और तेलंगाना से सटा है, इसलिए कोरोना के संकट के दौर में इस जिले ने ज्यादा चुनौतियों का सामना किया। इस मामले में मेडिकल टीम का कामकाज काबिले तारीफ था। आज भी दीगर जिलों में इस जिले की स्वास्थ्य सेवा की तारीफ होती है, ये गर्व की बात है।
तत्कालीन कलेक्टर ए तंबोली के कार्यकाल में यहां जिला हाॅस्पिटल का नवीकरण हुआ और डाॅक्टरों की पदस्थापना हुई। इससे जिले की एक नजीर पेष हुई। अब राज्य स्तर पर इस हाॅस्पिटल को आदर्श माना जाने लगा है।
जिले ने पिछले साल बाढ़ की बड़ी विभिषिका देखी। इस चुनौती का भी जिले ने बखूबी सामना किया। राजस्व, पंचायत, नगर सेना, स्वास्थ्य विभाग , शिक्षा विभाग के अलावा विभिन्न संगठनों ने कंधे से कंधा मिलाकर इसमें राहत का काम किया। इससे जानमाल का कम से कम नुकसान हुआ।
अड़चनें तो आएंगी ही
कलेक्टर रितेश अग्रवाल ने कहा कि पुसनार सरीखे गांव तक सड़क बन गई है। इसके अलावा कई अंदरूनी इलाकों में काम चल रहा है। सड़कों को बनाने में सभी का योगदान है। इसमें अड़चनें तो आएंगी ही।
जब कुछ नहीं था, तब लोग टीका टिप्पणी नहीं करते थे और अब इसमें नुक्ताचीनी निकाल रहे हैं। एक साथ पूरा काम नहीं हो जाता है। सड़कें बन रही हैं और ये कुछ जगहों पर खराब भी हो रही हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि ये इसी हाल पर रहेंगी। ठेकेदार पर इसके संधारण की जिम्मेदारी है और इस दरमियान सड़कें ठीक हो जाएंगी।
पर्यटन‚ होम स्टे और छवि
कलेक्टर ने इस बात पर बल दिया कि जिले में जो है, उसे वैसे ही पेश किया जाना चाहिए। बनावटी छवि पेश करना मुनासिब नहीं है। संवेदनशील इलाके की ही छवि पेश करना भी उचित नहीं है। जिले की खूबियों को बताए जाने की भी दरकार है।
जिले के पर्यटन स्थलों तक लोग अब आने लगेंगे। इसके लिए गाइड के तौर पर युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। होम स्टे की कोशिश भी की जा रही है।
साढ़े 10 हजार जाति प्रमाण पत्र बने !
डीएम रितेश अग्रवाल ने बताया कि छह माह में ही 10500 जाति प्रमाण पत्र बनाए गए। इसके लिए कैम्पों का आयोजन हुआ। गंगालूर गांव से आगे कर्मचारी नदी पार कर इसके लिए लोगों से मिले। 200–08 से अब तक 7500 वनाधिकार पट्टे बने थे जबकि छह माह में ही 1800 वनाधिकार पट्टे बनाए गए।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) January 8, 2021
इसके अलावा 1700 सामुदायिक वनाधिकार पट्टे वितरित किए गए। उन्होंने बताया कि 2017 से 2020 तक करीब पांच सौ दिव्यांगों के यूनिक आईडी कार्ड बनाए गए थे जबकि पांच माह में करीब 1900 यूनिक आईडी कार्ड बनाए गए। आधार के लिए ही इतने कम समय में करीब पांच हजार पंजीयन हुए। आधार, राशन कार्ड एवं जाति प्रमाणपत्र बेहद जरूरी है और इस पर जोर दिया जा रहा है।
तर्रेम और कुटरू में नेटवर्क
कलेक्टर ने बताया कि तर्रेम एवं कुटरू में जिओ का नेटवर्क का काम हो रहा है। जहां तक कृषि क्षेत्र की बात है, इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। किसानों को उन्नत खेती से जोड़ा जा रहा है। आश्रम और पोटा केबिन खुल जाए तो बेहतर है लेकिन इसके लिए उपर से आदेश की जरूरत है। अभी बच्चों को सूखा राशन दिया जा रहा है।
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— Khabar Bastar (@khabarbastar) January 9, 2021
जिले में 187 आश्रम एवं 34 पोटा केबिन हैं। आंगनबाड़ी के बच्चों को नियमित रूप से पूरक पोषण आहार दिया जा रहा है। बच्चों को जल्द ही अण्डे दिए जाएंगे।
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