स्पाइक होल और प्रेशर बम के खतरों में माड़ में भटकती एक बेबस बीवी
पंकज दाऊद @ बीजापुर। अगवा इंजीनियर अशोक पवार की पत्नी सोनाली पवार अपनी दो छोटी बेटियों के साथ इन दिनों अबुझमाड़ के जंगल में भटक रही है। पांच दिन पहले नक्सलियों के कब्जे में आए अशोक पवार का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
पांच दिन पहले नक्सलियों ने बेदरे में बन रहे पुल से अशोक पवार निवासी होशंगाबाद मप्र का अपहरण कर लिया था। उनके साथ राजमिस्त्री आनंद किशोर यादव निवासी उमरिया शहडोल को भी नक्सली उठाकर ले गए हैं। आनंद किशोर के भाई रामप्रसाद यादव भी कुटरू में आए हुए हैं। दोनों का परिवार काफी परेशान है।
खबर मिलते ही अपहरण के अगले दिन सोनाली पवार अपनी दो बेटियों को लेकर आ गईं। वे पहले बेदरे में थीं। इसके बाद वे इंद्रावती नदी पार कर अबूझमाड़ में दाखिल हो गईं। यहां जंगली जानवरों का खतरा कम, स्पाइक होल और प्रेशर बम का खतरा अधिक है।
बेटी की मार्मिक अपील
बेटी ने भी इंजीनियर की छह साल की बेटी निकिता ने भी नक्सलियों ने उनके पिता को मुक्त कर देने की अपील की है। इसके अलावा दोनों के परिवारों ने पीएम मोदी और सीएम बघेल से भी दोनों अगवा कर्मचारियों को किसी तरह छुड़वाने की अपील की है।
इधर, बस्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक विक्रम शाह मण्डावी ने कहा है कि दोनों ही अगवा लोग गरीब परिवार से हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करने आए हैं। मानवता के आधार पर दोनों को मुक्त कर दिया जाना चाहिए।
पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि सरकार को दोनों को छुड़वाने के लिए मध्यस्थता करनी चाहिए। दोनों कर्मचारी अपनी रोजी रोटी के लिए बेदरे आए थे। जेसीसी जिलाध्यक्ष विजय झाड़ी और सीपीआई जिला सचिव कमलेश झाड़ी ने भी नक्सलियों से दोनों को छोड़ देने की अपील की है।
इधर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष एवं सर्व आदिवासी समाज की जिलाध्यक्ष जमुना संकनी ने कहा है कि पहले भी कुछ अगवा लोगों को नक्सलियों ने मानवता के नाते छोड़ दिया था। इसी तरह नक्सली अगवा किए गए इंजीनियर व राजमिस्त्री को भी छोड़ दें।
पुल का काम मजदूरों ने रोका, गाड़ियां कैम्प में
मजदूरों ने इंद्रावती में बेदरे में बन रहे पुल का काम रोक दिया है। सभी वाहनों और मशीनों को कंपनी के कैम्प में रख दिया गया है। अपहरण के दिन से ही काम रोका गया है। ये पुल माड़ और महाराष्ट्र के भामरागढ़ को जोडे़गा। बताया गया है कि ये पुल महाराष्ट्र से कोई 35 किमी दूर है। इससे माड़ में बसे लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सुविधा होगी।