Regularization of Employees in chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के हजारों मनरेगा कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों को नियमित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए एक विशेष एचआर नीति बनाने का फैसला किया है। इस संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इसके लिए आदेश जारी कर दिए हैं।
18 साल बाद पूरी होगी मांग
सरकार का यह फैसला प्रदेश के करीब 12,500 मनरेगा कर्मचारियों के लिए बेहद अहम है, जो पिछले 18 साल से अपनी नियमितीकरण की मांग कर रहे थे।
अब सरकार ने न सिर्फ उनकी इस मांग पर गौर किया है बल्कि उनके लिए एक विशेष एचआर नीति बनाने का भी फैसला ले लिया है।
8 सदस्यीय समिति का गठन
इस नीति को बनाने के लिए सरकार ने एक 8 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस कमेटी में मनरेगा कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। कमेटी को 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
इस समिति में मनरेगा योजना के जिम्मेदार अधिकारियों के साथ-साथ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय क्षत्री और प्रदेश महासचिव सुनील मिश्रा को भी शामिल किया गया है। समिति को 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
कर्मचारियों में खुशी की लहर
इस फैसले से मनरेगा कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय क्षत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की संवेदनशीलता के कारण ही यह फैसला लिया गया है।
उन्होंने कहा कि यह फैसला कर्मचारियों के सामाजिक और सेवा सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
क्या है एचआर नीति?
एचआर नीति एक तरह का नियम है जो कर्मचारियों के काम करने के तरीके, उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों को बताता है।
मनरेगा कर्मचारियों के लिए बनाई जाने वाली एचआर नीति में उनके वेतन, छुट्टियां, पदोन्नति और अन्य सुविधाओं के बारे में नियम होंगे।
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