आखिर क्या दवा दुकानें भी बंद हो जाएंगी..? विक्रेताओं ने रखी है सरकार से ये मांग!
पंकज दाउद @ बीजापुर। दक्षिण बस्तर के दवा विक्रेताओं ने सरकार से उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिए जाने की मांग करते कहा है कि ऐसा नहीं करने पर वे दुकान बंद कर देंगे।
सुकमा, दंतेवाड़ा एवं बीजापुर के दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनोद मिश्रा, सचिव गोपाल मण्डल एवं कोषाध्यक्ष एएच सिद्दिकी ने कहा है कि उनका संघ अपने सदस्यों के हितों के संरक्षण में लाॅक डाउन में शामिल होने पर विचार कर रहा है।
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भारत के 9 लाख चालीस हजार ड्रगिस्ट खतरों के बीच मानवता की मिसाल पेश करते लगातार मरीजों को दवा उपलब्ध करवा रहे हैं। दवा विक्रेताओं की भूमिका वकील, पत्रकार, डाॅक्टर, मेडिकल स्टाफ एवं सफाई कर्मी से कमतर नहीं है। कई बार आग्रह के बावजूद ना तो ड्रगिस्ट को कोरोना वारियर्स घोषित किया गया और ना ही वैक्सिनेशन में प्राथमिकता दी गई।
पिछले साल देश में 650 केमिस्ट कोरोना से मारे गए। उनका कहना है कि हम दवा बेचते हैं लेकिन वे ही अपने परिवार को रेमडेसिविर और टोसीजुमेव उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। इससे ज्यादा दुःखद क्या हो सकता है। इससे केमिस्टों के कई परिजन दवा के अभाव में मारे गए।
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एसोसिएशन ने दवा विक्रेताओं को कोरोना वारियर्स का दर्जा दिए जाने एवं वैक्सिनेशन में प्राथमिकता दिए जाने की मांग की है। ऐसा नहीं होने की सूरत में वे भी दुकान बंद कर देंगे। आल इंडिया आर्गेनाइजनेशन आफ केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट एसोसिएसशन के निर्देश पर दक्षिण बस्तर के दवा विक्रेताओं ने ये निर्णय लिया है।