हाई कोर्ट ने कर्मचारियों को राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके तहत अवकाश के लिए 2 साल का गैप जरूरी नहीं है। हाई कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की है। इसके साथ ही मातृत्व अवकाश को और स्वीकार किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया गया है।
हाई कोर्ट एक महत्वपूर्ण निर्णय में प्राथमिक विद्यालय मनरका रामपुर की सहायक अध्यापिका कुशल राणा के मातृत्व अवकाश को मंजूरी दे दी है।
ऐसे में रामपुर द्वारा 180 दिन के मातृत्व अवकाश को और स्वीकार किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया है।
मातृत्व अवकाश की मांग
इससे पहले अध्यापिका द्वारा मातृत्व अवकाश की मांग की गई थी। जिसे निरस्त कर दिया गया था।
आवेदन को निरस्त करने के साथ ही कारण देते हुए शासन आदेश में कहा गया था कि एक बच्चे के मातृत्व अवकाश की समाप्ति और दूसरे बच्चे के मातृत्व अवकाश की शुरुआत के बीच 2 साल का अंतर होना चाहिए।
इस आधार पर 9 अगस्त को उनके आवेदन को निरस्त किया गया था।
9 अगस्त को आवेदन निरस्त
जिस पर महिला हाई कोर्ट पहुंची थी। वही अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी ऐसे रामपुर के साथ आदेश को रद्द कर दिया है।
साथ ही हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मातृत्व अवकाश के बीच 2 साल के गैप का आदेश कानून के विरुद्ध है और यह याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
कोर्ट ने इस मुद्दे पर पहले से फैसले का हवाला देते हुए आदेश को अवैध कर दिया है। ऐसे में अब महिला कर्मचारी को 180 दिन के मातृत्व अवकाश की सुविधा दी जाएगी।
इसके साथ ही उन्हें इस अवधि के वेतन का भुगतान किया जाएगा।
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