Employees Regularization, Regular Employees, Employees Benefit: हाई कोर्ट द्वारा कर्मचारियों को राहत दी गई है। जल्दी नियमित करने के आदेश दिए गए हैं।
ऐसे में अस्थाई कर्मचारियों को भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की श्रेणी नियमित किया जाएगा।
आदेश के बाद जल्दी प्रक्रिया शुरू
हाई कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा दिए गए इस आदेश के बाद जल्दी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
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हाई कोर्ट ने बिल आधारित अस्थाई कर्मचारियों को भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की तरह नियमित करने के आदेश पारित किए हैं।
संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
हाई कोर्ट के न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने राम सिंह के मामले में दिए गए अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि प्रतिवादी वन विभाग अब दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल आधार पर काम करने वाले कर्मचारियों के बीच अंतर पैदा कर रहा है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
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हाई कोर्ट का आदेश
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हो या बिल आधारित कर्मचारियों को विभाग में एक जैसी सेवा दे रहे हैं।
ऐसे में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी और बिल कर्मचारियों के बीच विभाग द्वारा जो वर्गीकरण किया गया, वह भारत के संविधान अनुच्छेद 14 की कसौटी पर खरा नहीं उतर रहा है। यह अनुच्छेद 14 का सीधे-सीधे उल्लंघन है।
राज्य सरकार के दिनांक 22 अप्रैल 2020 की नीति के अनुसार नियमितीकरण के आदेश से प्रार्थी को केवल इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता कि उसका नामकरण दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी नहीं बल्कि बिल बोर्ड कर्मचारियों में है।
हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद अब जल्दी ही अस्थाई कर्मचारियों को भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की तरह नियमित किया जा सकता है।
यदि याचिकाकर्ता नियमितीकरण के मायनों को पूरा करता है तो उसे भी नियमितीकरण प्राप्त करने का अधिकार है।
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हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया की समानता का अधिकार सबके लिए है, इसे केवल उस नामकरण के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता।
बता दे की याचिकाकर्ता की तरह कार्य करने वाले कर्मचारियों के मामले में विभाग की ओर से दो बार नियमितीकरण करने के लिए ट्रेनिंग की गई।
हर वर्ष 240 दिन से अधिक कार्य करने के बावजूद उन्हें नियमित नहीं किया गया।
नियमितीकरण का लाभ
प्रार्थी को हिमाचल हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दायर करनी पड़ी थी। जिस पर अब हम निर्णय दिया गया है। इसके तहत उन्हें नियमितीकरण का लाभ दिया जाएगा।
उन्हें 22 अप्रैल के नियमितीकरण नीति के अनुसार 6 सप्ताह की अवधि के भीतर नियमित करने का आदेश दिए गए हैं।
ऐसे में जल्दी उन्हें नियमितीकरण का लाभ मिलेगा। हालांकि याचिकाकर्ता को दिए जाने वाली वित्तीय लाभ याचिका दायर करने की तारीख से 3 साल तक की सीमित रहेंगे।
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