मक्खी और गर्मी ने भी चौपट कर दी आम की फसल ! जानिए, आखिर क्या है कम उपज का राज ?
पंकज दाऊद @ बीजापुर। इस साल देसी प्रजाति में आम की फसल कमजोर होने के पीछे मक्खी और गर्मी भी अहम वजह हैं क्योंकि फूल से फल बनने में इनका खास रोल है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्यानिकी विद् डॉ केएल पटेल ने बताया कि देसी आम की प्रजाति का ये गुणधर्म है कि इनमें एक साल फसल अच्छी होती है तो दूसरी साल कम या नहीं के बराबर। इस साल आम का ऑफ सीजन चल रहा है यानि फसल कमजोर है।
डॉ पटेल ने बताया कि देसी प्रजाति में ऑन सीजन ने 100 फीसदी फूल में से एक फीसदी फल आते हैं जबकि ऑफ सीजन में 0.09 फीसद या इससे कम भी फल लगते हैं। ये एक खास वजह इस साल आम के कम आने का है।
डॉ केएल पटेल ने बताया कि बौर मार्च में आते हैं और इस साल मार्च में ही तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। इससे बौर सूखने और झड़ने लगे।
दरअसल, आम बनने की प्रक्रिया में परागण एक चरण होता है। यही फूल से फल बनने के लिए जिम्मेदार चरण है। परागण हवा या एक घरेलू मक्खी यानि हाऊस फ्लाई ( मस्का डोमेस्टिशिया) के जरिए होता है। ये मक्खी एक फूल से दूसरे फूल तक रस चूसने जाती है। इस तरह परागण होता है।
इस साल फूल सूख गए और इनमें नमी नहीं थी। तो मक्खी को यहां रस नहीं मिला। इस वजह से परागण नहीं हो सका।
उन्नत प्रजाति में ऑफ सीजन नहीं
उन्नत प्रजाति के आम के वृक्षों में ऑफ सीजन एवं ऑन सीजन का फेर नहीं है। सदाबहार, बैंगनपल्ली, तोतापरी, बॉम्बे ग्रीन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के नंदीराज आदि उन्नत नस्लों में हर साल बौर आते हैं और फल बनते हैं।
लोग उन्नत किस्म को इसलिए पसंद करते हैं कि ये साइज में बडे, छोटी गुठली, ज्यादा गुदा एवं पतले छिलके वाले होते हैं। इसके उलट, देसी प्रजाति की साइज छोटी, गुठली बड़ी, कम गुदेदार एवं मोटे छिलके वाले होते हैं।