बीजापुर से बाजा जाएगा रायपुर और बजेगा किसी का नहीं ! दुगोली, पेगड़ापल्ली और इलमिड़ी में वाद्ययंत्रों की तलाश
पंकज दाऊद @ बीजापुर। जिले से राजधानी रायपुर वाद्य यंत्र मंगाए गए हैं लेकिन ये बजेंगे नहीं। इस काम के लिए मानवविज्ञानियों को यहां जगदलपुर से भेजा गया है।
दरअसल, नया रायपुर में बन रहे म्यूजियम में जिले के विभिन्न गांवों से जनजातीय समुदाय के इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके लिए सामानों का संग्रह शुरू हो गया है। बस्तर के विभिन्न हिस्सों से जनजातीय समूहों के सामान एकत्र किए जा रहे हैं।
इसी सिलसिले में जगदलपुर से आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के उप संचालक डाॅ रूपेन्द्र कवि एवं सहायक संचालक डाॅ राजेन्द्र सिंह जिले के चार दिन के प्रवास पर हैं। उन्होंने बताया कि नया रायपुर में संस्थान का म्यूजियम बन रहा है। इसमें बस्तर के सामान भी रखे जाएंगे।
दुगोली, इलमिड़ी, पेगड़ापल्ली एवं मुरदोण्डा में इन्होंने सामान एकत्र किए। परधान जनजाति के आभूषण, वाद्य यंत्र, दोरलों के कृषि औजार, काटने, पीसने, कूटने के सामान एवं अन्य दैनिक उपयोग के सामान इकट्ठे किए जा रहे हैं। इसके अलावा पारंपरिक वस्त्र, बर्तन आदि सामान भी ले जाए जा रहे हैं।
डाॅ कवि ने बताया कि नारायणपुर, कांकेर और कोण्डागांव से भी दीगर जनजातियों के सामान एकत्र किए जाएंगे। इसके लिए अलग टीम होगी। शुक्रवार को भी अफसरों की टीम जिले के विभिन्न गांवों में जाएगी। अभी इनका फोकस दोरला और परधान जनजातियों पर है।
इस वजह से शुरू में इन जनजातियों के सामान एकत्र किए जा रहे हैं। नया रायपुर में ट्राइबल म्यूजियम बन जाने पर देश-विदेश के लोगों को बस्तर की संस्कृति को समझने का मौका मिलेगा।
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