SC On Child Porn: चाइल्ड पोर्न देखना और डाउनलोड करना अपराध, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, POCSO पर केंद्र को दी यह सलाह

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By Kalash  Tiwari

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SC On Child Porn: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चाइल्ड पोर्न को डाउनलोड करना और देखना अपराध की श्रेणी में आएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि POCSO एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह चाइल्ड सेक्सुअल अबूसिव एंड एक्सप्लोइटेटिव मटेरियल लिखा जाए।

बता दे कि मद्रास हाई कोर्ट ने एक शख्स के खिलाफ यह कहते हुए केस रद्द कर दिया था कि उसने चाइल्ड पॉन्ड से डाउनलोड किया है। किसी को भेजा नहीं है। ऐसे में अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।

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सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपनी दलील में कहा है कि शब्दों में बदलाव करके भी समाज और न्याय व्यवस्था का ऐसे मामलों में गंभीरता की ओर से ध्यान दिलाया जा सकता है।

जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़ और जस्टिस के बी पादरीवाला की बेंच ने चाइल्ड पोर्न को लेकर चिंता जताया है।

POCSO पर केंद्र को निर्देश

इसके साथ ही कहा कि तकनीकी वास्तविकता और बच्चों की कानूनी सुरक्षा के बीच बैलेंस बनाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड पोर्न को SCEAM कहने से लीगल फ्रेमवर्क और समाज में बच्चों के शोषण के खिलाफ लड़ने का एक नया दृष्टिकोण विकसित होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल युग में बच्चों की सुरक्षा के लिए कानून से जुड़े कई गंभीर सवाल का जवाब देना आवश्यक है।

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हाई कोर्ट का फैसला

इसस पहले जनवरी 2024 में मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश ने 28 साल के एक शख्स के केस को यह कहते हुए रद कर दिया था कि उसके खिलाफ आपराधिक मामले का कोई औचित्य नहीं है। 

युवक पर चाइल्ड पोर्न देखने और डाउनलोड करने का आरोप लगा था। जस्टिस वेंकटेश ने कहा था कि केवल चाइल्ड फोन को देखना पोक्सो और आईटी एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जा सकता है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर बच्चे को पोर्नोग्राफी में इस्तेमाल किया जाता है तो उसे पर POCSO एक्ट के तहत केस चलाया जा सकता है। 

वही बिना इसके सीधे शामिल हुए कोई चाइल्ड पोर्न देखता है तो उस पर आपराधिक मुकदमा चलाना सही नहीं है। 

हाई कोर्ट ने आईटी एक्ट सेक्शन 67b का हवाला देते हुए कहा था कि आरोपी ने इस तरह की सामग्री ना तो पब्लिश की है, न हीं किसी को भेजी है।

 जब आरोपी ने किसी बच्चे का इस्तेमाल पोर्न के लिए नहीं किया तो उसके खिलाफ अपराध भी साबित नहीं होता है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाई कोर्ट के इस आदेश की आलोचना की

इसके बाद मार्च में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हाई कोर्ट के इस आदेश की आलोचना की थी। सुप्रीम कोर्ट केजाज ने हाई कोर्ट के जज की कानूनी समय पर भी सवाल खड़े किए थे। 

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि एक अकेला जज इस तरह की बात कैसे कह सकता है, यह तो भयानक है। इसके साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डिजिटल कंटेंट को लेकर जवाब देही आवश्यक है। 

ऐसे में अब से चाइल्ड पोर्न देखना और उसे स्टोर करना अपराध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने POCSO एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह चाइल्ड सेक्सुअल अबूसिव एंड एक्सप्लोइटेटिव मटेरियल (CSAEM) लिखने के भी निर्देश दिए हैं।

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