Employees Shock, Employees New Pay scale, Teachers New Pay scale : शिक्षकों कर्मचारियों को जल्द बड़ा झटका लग सकता है। इधर प्रदेश में अनुदानित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को नए वेतनमान का लाभ देने के खेल का खुलासा हुआ है।
जिसके साथ ही हजारों शिक्षकों के खाते में नए वेतनमान के तहत राशि का अंतरण किया गया है। राज्य सरकार जल्दी महत्वपूर्ण फैसला ले सकती है।
कई शिक्षकों को नए वेतनमान के तहत बड़े वेतन की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। माना जा रहा है कि 8 साल बाद इस निर्देश के बाद शिक्षकों से इसकी रिकवरी की जा सकती है।
शासन के विशेष सचिव रजनीश चंद्र ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक को पत्र लिखा है। जिसमें इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
नए वेतनमान के अनुरूप वेतन वृद्धि का लाभ
बता दे कि मामला सन 2016 का है उसे समय के तत्कालीन निदेशक ने शासन और वित्त विभाग की अनुमति लिए बिना इन शिक्षकों को नए वेतनमान के अनुरूप वेतन वृद्धि का लाभ दिया था।
और शासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय शिक्षा संगठन के प्रांतीय महामंत्री ने बताया कि शासन ने 8 साल बाद इस मामले पर आपत्ति जताई है।
अनुदानित स्कूलों में शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई
इससे समाज कल्याण विभाग के अनुदानित स्कूलों में शिक्षकों की परेशानी बढ़ गई है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सातवें वेतनमान के भुगतान में निदेशक की गलती के कारण शिक्षकों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
समाज कल्याण विभाग के अनुदानित स्कूलों में कार्यालय शिक्षकों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है।
वित्त विभाग की स्वीकृति की जरूरत
दरअसल 2016 में सातवें वेतन आयोग की संस्तुति पर प्रदेश के जिन शिक्षकों को नए वेतनमान का लाभ मिलना था। उसमें सहायता प्राप्त स्कूलों और सरकारी स्कूल के शिक्षक शामिल थे।
उस समय की तत्कालीन सरकार ने एक आदेश में कहा था कि सरकार सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षक और कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के लिए अलग से वित्त विभाग की स्वीकृति की जरूरत नहीं है।
इसी के आधार पर निदेशक ने समाज कल्याण विभाग से अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ देने के आदेश जारी कर दिए थे।
जबकि यह स्कूल सहायता प्राप्त विद्यालय की श्रेणी में नहीं आते थे। अब 8 साल बाद उठे इस मुद्दे के बाद माना जा रहा है कि शिक्षकों से रिकवरी की जा सकती है।
रिकवरी का आदेश जारी किया था
इससे पहले भी राज्य में इस प्रकार की गड़बड़ी देखने को मिली थी। छठे वेतनमान जारी करनेके बाद इसमें हुई गड़बड़ी प्रशासन ने रिकवरी का आदेश जारी किया था। इस पर शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली थी।
हाई कोर्ट ने शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए वेतन रिकवरी के आदेश पर रोक लगा दी थी। इससे शिक्षकों को बढ़े हुए वेतन वापस नहीं करने पड़े थे।
स्पष्टीकरण की मांग
अब शिक्षकों को एक बार फिर से डर है कि बढे हुए वेतन की रिकवरी के आदेश जारी न किया जाए। रिकवरी हुई तो आठवीं वेतनमान के भुगतान में भी उन्हें दिक्क्त का सामना करना पड़ सकता है।
इस गड़बड़ी के कारण हाई कोर्ट में पेंशन की लड़ाई लड़ रहे रिटायर्ड कर्मचारियों की लड़ाई भी कमजोर हो रही है क्योंकि समय पर भुगतान नहीं होने से भविष्य में उनके लाभ के दावेदार में परेशानी आती है।
अब बिना वित्त विभाग की अनुमति लाभ देने का मामला सामने आने पर स्पष्टीकरण की मांग की गई है। रजनीश चंद्र ने 29 जुलाई को समाज कल्याण विभाग, यूपी के निदेशक को पत्र लिखकर इस पर स्पष्टीकरण मांगा है।
जिसके बाद से ही शिक्षकों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के शिक्षकों से जल्दी रिकवरी के आदेश जारी किए जा सकते हैं।
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