रोजगार गारंटी: इनकी नौकरी की नहीं है गारंटी… हड़ताल से जिले में मनरेगा के डेढ़ हजार काम थम गए
पंकज दाऊद @ बीजापुर। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत काम कर रहे जिले के 198 कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से करीब डेढ़ हजार काम रूक गए हैं और एक अनुमान के मुताबिक आंदोलन के चलते समूचे छग को केन्द्र से रोजाना करीब तीस करोड़ रूपए नहीं मिल पा रहे हैं।
रोजगार की मजदूरों को 100 दिन के काम की गारंटी देने वाले अधिनियम के तहत काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरी की कोई गारंटी नहीं है। नियमित किए जाने व वेतन बढ़ाए जाने की मांग को लेकर तीन दिनों से हड़ताल पर जिले के सभी 198 कर्मचारी हैं।
इन हड़तालियों में 97 रोजगार सहायक, जिला पंचायत में कार्यरत 13 कर्मचारी एवं जनपदों में कार्यरत 88 कर्मचारी आंदोलन पर हैं।
आंदोलनकारियों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में अनियमित कर्मियों को नियमित किए जाने की बात कही थी लेकिन भूपेश सरकार को बने तीन साल से अधिक का वक्त बीत गया है। इस चुनावी घोषणा पर वादा पूरा नहीं किया जा रहा है।
नियोक्ता राज्य शासन है और नियमितीकरण भी उसे ही करना है। रोजगार सहायक को मामूली वेतन दिया जा रहा है। मनरेगा में मजदूरी दर 204 रूपए दैनिक है और ये रोजगार सहायक से अधिक है।
नए रोजगार सहायकों को 5000 रूपए दिए जा रहे हैं। 5 बरस से अधिक सेवा देने वाले रोजगार सहायकों को 6000 रूपए मानदेय दिया जा रहा है। ये एक तरह से शोषण ही है।
आंदोलन में संरक्षक मनीष सोनवानी, जिला अध्यक्ष सुशील दुर्गम, सचिव प्रशांत यादव, उपाध्यक्ष पदुमलाल साहू एवं अन्य कर्मचारी धरने पर बैठे हैं।
मस्टररोल नहीं बन रहे
रोजगार सहायकों के हड़ताल पर होने से मस्टर रोल नहीं बन पा रहे हैं। संरक्षक मनीष सोनवानी ने बताया कि छग में हड़ताल के चलते केन्द्र से रोजाना करीब तीस करोड़ रूपए नहीं आ रहे हैं क्योंकि मस्टर रोल नहीं भेजे जा रहे हैं। तालाब, डबरी, कुंआ, नहर लाइनिंग, राशन दुकान, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी भवन निर्माण के काम थम गए हैं।