कुछ सरकारी पॉलिसी नापसंद, हजारों आदिवासी सड़क पर उतरे… फोर्स के नए कैम्प का विरोध और स्कूल खोलने की बात दोहराई
भोपालपटनम-बीजापुर @ खबर बस्तर। छग के छोर पर बसे ब्लॉक भोपालपटनम के मुख्यालय में कई गांवों के हजारों आदिवासी बुधवार की दोपहर 20 मांगों को लेकर सड़क पर उतरे और जंगी प्रदर्शन किया।
इनकी रैली रूद्रारम धान खरीदी केन्द्र से दोपहर एक बजे निकली और ब्लॉक मुख्यालय के हाईस्कूल तिराहे तक आई लेकिन यहां बड़ी संख्या में फोर्स थी। जवानों ने बेरीकेड लगाकर इन्हें वहीं रोक दिया। यहां आदिवासी नेताओं ने एसडीएम डॉ हेमेन्द्र भूआर्य एवं तहसीलदार ओंकारेश्वर सिंह को राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा।
इस रैली में ब्लॉक की सभी 35 पंचायतों के लोग शामिल हुए। लोगों ने तीन किसान कानून को निरस्त करने, किसानों को समर्थन मूल्य 2500 रूपए नगद देने, जल, जंगल और जमीन पर अधिकार, बेगुनाह आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल भेजना बंद करने, ऐसा करने वाले दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई, भोपालपटनम तहसील में नए पुलिस कैम्प नहीं खोलने, बस्तर के युवाओं को बस्तर बटालियन या महिला पैंथर्स में भर्ती नहीं करने, शिक्षित बेरोजगारों को डॉक्टर, शिक्षक एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के तौर पर भर्ती करने, डीजल-पेट्रोल एवं जरूरी सामानों की कीमत कम करने, किसानों को वक्त पर खाद-बीज की आपूर्ति, किसानों की आकस्मिक मृत्यु पर पच्चीस लाख रूपए का मुआवजा, एड़समेटा और सिलगेर गोलीकाण्ड में शामिल जवानों पर कड़ी कार्रवाई, बंद स्कूलों को फिर से खोलने और कोरोना पीड़ितों को फ्री में इलाज की मांग की है।
यहां मानवीय हलचल पसंद नहीं !
रैली का नेतृत्व पंचायतों के सरपंच कर रहे थे। रैली में शामिल लोगों ने कहा कि उसूर के लंकापल्ली को पर्यटन केन्द्र घोषित किया गया है। ये ठीक नहीं है। सकलनारायण गुफा और तारूड़ नदी को भी पिकनिक स्पॉट घोषित ना किया जाए।
ग्रामीणों ने कुचनूर और धनगोल से कोरण्डम की खुदाई का विरोध करते इंद्रावती और चिंतावागु से रेत निकालने टेण्डर पर आपत्ति जताई है। बैलाडिला पहाड़ से आयरन ओर के खनन का भी विरोध किया गया है।