फटे नोटों की भी कद्र है मार्केट में ! मोटी कमाई कर लेते हैं कारोबारी
पंकज दाउद @ बीजापुर। टकसाल से निकलने के बाद कई हाथों से गुजरते कागज के नोट जलकर, भीगकर या फिर फटकर एक नए सफर पर निकल पड़ते हैं। ये सफर फिर ऐसे मार्केट से शुरू होता है, जहां इनके भी कद्रदान बैठे होते हैं।
पूरे देश में हाट बाजारों में ऐसे विकृत नोट, चाहे वे किसी भी डिनाॅमिनेशन यानि मूल्यवर्ग के हों, बिक जाते हैं। जिले के साप्ताहिक हाट बाजारों में भी कटे-फटे नोटों को खरीदने वाले अपनी दुकान लगाकर बैठते हैं। यहां सण्डे मार्केट में भी तीन से चार ऐसे व्यापारी आते हैं और लोगों से नोट खरीदते हैं।
गीदम निवासी खिलौनों और रोल्ड गोल्ड के व्यापारी निखिल हलधर बताते हैं कि वे करीब 10 साल से इस कारोबार से जुड़े हैं। उनका मूल पेशा मेलों में खिलौने और ज्वेलरी बेचना है। मेला हमेशा नहीं लगता है। इस वजह से उन्होंने आफ सीजन में इस पेशे को अपनाया।
निखिल ने बताया कि मेलों में फटे नोट खरीदने वाले आया करते थे और फिर वे भी इस व्यापार से जुड़ गए। ये नोट कहां खपा दिए जाते हैं, इसका पता भी उन्होंने लगाया। वे बताते हैं कि कुछ पैसे काटकर वे ग्राहक को फटे नोट के बदले रकम अदा कर देते हैं।
मेले से कमाई रकम को वे यहां निवेश करते हैं। सालभर में वे करीब तीन से 4 लाख तक के पुराने नोट खरीद लेते हैं। इसके बाद वे हर छह माह में या तो कोलकाता या फिर नागपुर में रिजर्व बैंक आफ इंडिया के इश्यू आफिस में चले जाते हैं। यहां वे नोट बदल देते हैं।
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साल में इस कारोबार से वे दो लाख रूपए तक कमा लेते हैं। इस पैसे से वे कोलकाता या नागपुर से मेले के लिए खिलौने या नकली ज्वेलरी खरीद लाते हैं। मेले का सीजन खत्म होने पर वे फिर से इस कारोबार से जुड़ जाते हैं।
वे बताते हैं कि यहां रविवार हाट में आने वाले अन्य व्यापारी आरबीआई के इश्यू आफिस ना जाकर किसी व्यापारी को फटे नोट दे देते हैं। निखिल बताते हैं कि कभी कभी इतने फटे नोट भी होते हैं कि लोग फ्री में ही इन्हें दे जाते हैं।