Employees, Bank Employees Loan Interest, Supreme Court on Loan Interest : कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक ऐतिहासिक फैसले में स्पष्ट किया गया है कि कर्मचारियों को दिए गए ब्याज मुक्त या रियायती दर लोन का लाभ एक अनुलाभ के समान है और यह आयकर अधिनियम के तहत टैक्सेबल होगा। ऐसे में कर्मचारियों को अब इंटरेस्ट का भुगतान करना होगा।
यह फैसला न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपंकर दत्ता की पीठ द्वारा सुनाया गया है। फैसले में विशेष रूप से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 17(2) के आठवीं कम और आयकर नियम 1962 के नियम 3(7)(i) की वैधता को बरकरार रखने के भी निर्देश दिए गए हैं।
बैंक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका
ऐसे में सरकारी बैंक कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। बैंक कर्मचारियों को दिए गए ब्याज मुक्त लोन का लाभ एक अनुलाभ के रूप में व्यक्त किया गया है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि प्रावधान न तो अन्यायपूर्ण है, ना ही क्रूर और ना ही करदाताओं पर कठोर है।
नियम के अनुसार जब कोई बैंक कर्मचारी जीरो इंटरेस्ट दर पर सालाना जितनी राशि बचाता ह, उसकी तुलना एक सामान्य व्यक्ति द्वारा भारतीय स्टेट बैंक में उतनी ही राशि का लोन लेकर भुगतान की जाने वाली राशि से की जाती है। जिस पर ब्याज लगता है और यह कर योग्य होता है।
याचिका खरिज
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज मुक्त मूल्य को अनुलाभ के रूप में टैक्स लगाने के लिए अन्य लाभ या सुविधा के रूप में माना जाना चाहिए। नियोक्ता द्वारा ब्याज मुक्त कर्ज देना निश्चित रूप से फ्रिज बेनिफिट या अनुलाभ के रूप में योग्य होगा, जैसा कि आम बोलचाल के नेचुरल भाषा में इसे समझा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर फेडरेशन और अन्य संस्थाओं द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसमें तर्क दिया गया है कि इस वर्गीकरण में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को आवश्यक विधायी कार्यों का अत्यधिक और निर्देशित प्रतिमंडल शामिल है।
यह है फैसला
याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क भी दिया था कि भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख लेंडिंग रेट को मानक बेंचमार्क के रूप में उपयोग करना बनवाना था और संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई की ब्याज दर को एक बेंचमार्क के रूप में तय करने से एकरूपता सुनिश्चित होती है और विभिन्न बैंकों द्वारा ली जाने वाली ब्याज दर पर कानूनी विवादों को रोका जा सकता है।
अब ऐसे में बैंक के लाखों कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। इसके साथ ही उन्हें जीरो या लो इंटरेस्ट लोन पर भी टैक्स देना होगा।
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