Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए ने एक बार फिर शानदार जीत हासिल की है, और मोदी सरकार 3.0 (Modi Government 3.0) शपथ लेने को तैयार है। लेकिन इस बार का सफर पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे सहयोगी दलों की मांगों ने भाजपा के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। दोनों नेता शीर्ष मंत्रालयों पर अपनी नजरें जमाए हुए हैं, जिससे एनडीए में प्रेशर पॉलिटिक्स चरम पर है।
भाजपा ने भी इन मांगों के जवाब में अपनी शर्तें रख दी हैं, जिससे सत्ता का यह खेल और दिलचस्प हो गया है।
- क्या नीतीश और नायडू की मांगें पूरी होंगी?
- क्या भाजपा को अपने रुख में बदलाव करना पड़ेगा?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें पूरी कहानी।
लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए ने एक बार फिर से जीत का परचम लहराया है, और मोदी सरकार 3.0 शपथ लेने को तैयार है। लेकिन इस बार सरकार की राह उतनी आसान नहीं है जितनी पहले थी।
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दरअसल, एनडीए के प्रमुख घटक दल, खास तौर पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार और टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
बढ़ती प्रेशर पॉलिटिक्स
एनडीए में इस समय प्रेशर पॉलिटिक्स का माहौल है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के दलों ने भाजपा के सामने अपनी मांगें रखनी शुरू कर दी हैं।
दोनों दलों की नजरें उन प्रमुख मंत्रालयों पर हैं, जिन्हें भाजपा सहयोगी दलों को देने के मूड में नहीं दिख रही है।
क्या चाहते हैं नीतीश और नायडू?
सूत्रों के अनुसार, जदयू और टीडीपी की नजरें मोदी सरकार के टॉप टेन मंत्रालयों पर हैं। ये दल गृह, रक्षा, वित्त, विदेश, राजमार्ग, वाणिज्य, रेलवे, कृषि, और पेट्रोलियम जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय चाहते हैं।
हालांकि, भाजपा टॉप 5 मंत्रालय देने के पक्ष में नहीं है। जदयू और टीडीपी का मानना है कि पूर्व की गठबंधन सरकारों में भी महत्वपूर्ण मंत्रालय सहयोगी दलों को दिए गए हैं। इसके साथ ही, जेडीएस भी मोदी सरकार 3.0 में कृषि और स्वास्थ्य मंत्रालय की मांग कर रही है।
भाजपा की बड़ी शर्त
इन दबावों के बीच, भाजपा ने भी अपनी शर्तें रख दी हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा का कहना है कि यदि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू स्वयं इन मंत्रालयों की जिम्मेदारी लेते हैं, तो ही उन्हें टॉप मंत्रालय दिए जाएंगे।
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इसके लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद छोड़ना होगा और चंद्रबाबू नायडू को सीएम पद की शपथ नहीं लेनी होगी।
भाजपा के लिए चुनौती
भाजपा अन्य सांसदों के लिए टॉप मंत्रालय देने के पक्ष में नहीं है। सीसीएस के चार प्रमुख मंत्रालय- रक्षा, वित्त, गृह और विदेश- में सहयोगियों को जगह मिलने की संभावना कम है।
मोदी सरकार 2.0 में रेलवे और सड़क परिवहन में बड़े सुधार किए गए हैं, और भाजपा इन सुधारों की गति धीमी नहीं करना चाहती।
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गठबंधन की मजबूरी
हालांकि, भाजपा को इस बार कुछ समझौते करने पड़ सकते हैं। पिछले कार्यकालों में भाजपा ने सहयोगियों को सांकेतिक प्रतिनिधित्व दिया था।
लेकिन इस बार जदयू और टीडीपी इसे आसानी से स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। संभव है कि भाजपा को कुछ शर्तों पर झुकना पड़े।
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