Pensioners Pension, Pension Benefit, High Court on Pension : हाई कोर्ट द्वारा कर्मचारियों के हित में महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। पेंशन के संबंध में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी द्वारा दैनिक वेतन भोगी के रूप में प्रदान की गई।
सेवा को पेंशन के उद्देश्य में सेवाओं के रूप में गिना जा सकता है लेकिन ऐसी सेवा के आधार पर पेंशन राशि की गणना नहीं की जा सकती है।
जिसके कारण पेंशन की गणना में दैनिक वेतन भोगी की सेवाएं आधार नहीं बन सकती है।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना है कि जब कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी के रूप में सेवा दे रहा है और बाद में उसे नियमित किया गया है तो दैनिक कर्मचारियों के रूप में दी गई अवधि को पेंशन के लिए सेवाओं के रूप में गिना जाना चाहिए।
प्रदान की गई सेवा को पेंशन की मात्रा के उद्देश्य से नहीं गिना जा सकता
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ में मामले की सुनवाई की गई थी। जिसमें राज्य सरकार की विशेष अपील को स्वीकार करते हुए इसे पारित किया गया।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फसलों का हवाला देते हुए कहा है कि कर्मचारियों की दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में प्रदान की गई सेवा को पेंशन की मात्रा के उद्देश्य से नहीं गिना जा सकता है लेकिन उनकी सेवा अवधि को पेंशन के लिए अहर्क सेवाओं के रूप में जाना चाहिए।
पेंशन से वंचित नहीं रखने की आदेश
बता दे कि कई वर्षों तक कार्य प्रभारी के रूप में सेवा प्रदान करने के बाद अब कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित किया गया है।
ऐसे में इस आधार पर उसे पेंशन से वंचित नहीं रखने की आदेश कोर्ट द्वारा दिए गए हैं लेकिन पेंशन के लिए अलग सेवा पूरी नहीं की गई है।
कोर्ट ने निष्कर्ष निकला है कि कार्य प्रभारी के रूप में कर्मचारियों की सेवाओं को पेंशन लाभ की गणना की जाएगी लेकिन पेंशन राशि की गणना के लिए इन सेवाओं की गिनती नहीं होगी।
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