गांव में रोजगार का दावा झूठा‚ पलायन कर रहे 150 ग्रामीणों को रोका गया… जिपं अध्यक्ष ने समझाइश देकर भेजा घर‚ CEO को लगाई फटकार
दंतेवाड़ा @ खबर बस्तर। जनप्रतिनिधि और सरकारी नुमाइंदे ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार मुहैया कराने का दावा करते नहीं थकते, लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। दक्षिण बस्तर में शासन-प्रशासन के तमाम वादों और दावों के बीच पलायन का जिन्न रह-रहकर बोतल के बाहर निकल ही जाता है।
शुक्रवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण पुरूष व महिलाएं रोजगार की तलाश में पड़ोसी राज्यों की ओर पलायन करने दंतेवाड़ा के बस स्टैण्ड पहुंचे थे। इनमें कटेकल्याण ब्लॉक के ग्राम पंचायत चिकपाल, टेटम, परचेली के सैकड़ों ग्रामीण शामिल थे। इस बात की जानकारी जैसे ही जिला पंचायत अध्यक्ष तुलिका कर्मा को मिली‚ वे स्वयं बस स्टैण्ड पहुंची और पलायन कर रहे ग्रामीणों को रुकवाया।
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जिपं अध्यक्ष ने बताया कि कुछ ठेकेदार ग्रामीणों को बहला फुसलाकर आंध्र प्रदेश ले जाने के फिराक में थे। मौके पर पहुँचकर सभी ग्रामीणों को समझाइश दी गई है और उन्हें अपने गृहग्राम वापस भेज दिया गया है।
पलायन के पीछे बड़ा गिरोह सक्रिय
तुलिका ने आरोप लगाया कि जिले के ग्रामीणों को पलायन कराने एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है जो ग्रामीणों को मोटी रकम दिलाने का वादा कर अपने साथ ले जाते हैं और उनका शोषण करते हैं। कोरोना काल में भी दूसरे राज्यों में पलायन कर गए कई मजूदरों को छुड़ाया गया था।
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मौके पर पहुंचे जिला पंचायत सीईओ अश्वनी देवांगन ने बताया कि जिले में मनरेगा के माध्यम से सभी को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। किसी भी पंचायत में काम की कमी नहीं है। भोले-भाले ग्रामीणों को बाहरी ठेकेदार पैसे का लालच देकर अपने साथ ले जाते हैं।
CEO की लगाई क्लास‚ दिए ये निर्देश
ग्रामीणों का पलायन होता देख नाराज जिपं अध्यक्ष तुलिका कर्मा ने प्रशासन के आला अफसरों को निर्देशित किया है वे पंचायत स्तर पर सख्ती कर पलायन रोकें। उन्होंने कटेकल्याण जनपद सीईओ को मौके पर फटकार लगाते निर्देशित किया कि वे सरपंच-सचिव के माध्यम से पलायन रोकें और मनरेगा के माध्यम से सभी को रोजगार उपलब्ध करावें।
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