कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने बुलंद की आवाज, अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर हड़ताल के तीसरे दिन भी डटे रहे कर्मचारी
सुकमा @ खबर बस्तर। छत्तीसगढ़ में कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर हजारों कर्मचारी अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से आंदोलन पर चले गए हैं। हड़ताल के तीसरे दिन बुधवार को भी कर्मचारी धरना स्थल पर डटे रहे।
बता दें कि प्रदेश भर के कर्मचारी केंद्रीय कर्मियों के समान 43 प्रतिशत महंगाई भत्ता (डीए) और गृह भाड़ा (एचआरए) देने की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन को कलमबंद कामबंद हड़ताल नाम दिया गया है। इसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने 25 से 29 जुलाई तक के लिए सामूहिक अवकाश का आवेदन दे रखा है।
इसी कड़ी में सुकमा जिले के छिंदगढ़ ब्लॉक मुख्यालय में बुधवार को कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहे। शासन तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए कई प्रखर वक्ताओं ने हड़ताल में अपने साथियों को संबोधित किया। भाजपा जिला अध्यक्ष हुंगा राम मरकाम भी धरना स्थल पर पहुंचे और कर्मचारियों का समर्थन करते हुए शासन से मांग किया कि जल्द ही केंद्र सरकार के अनुरूप 34 फीसदी महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए।
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के ब्लॉक सह संयोजक सोनाधर मांझी ने भी आवाज बुलंद करते हुई शासन से कहा कि हमें अविलंब 34 फीसदी डीए और सातवें वेतनमान के अनुरूप गृह भाड़ा भत्ता दिया जाए। अन्यथा पांच दिवसीय निश्चित कालीन हड़ताल के पश्चात अगले चरण में हम अनिश्चितकालीन आंदोलन में जाने के लिए बाध्य होंगे। इसके लिए संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
’छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन को समर्थन दे रहे सर्व शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष कृष्ण कुमार पुजारी ने कहा कि “कोई भी कर्मचारी शौक से हड़ताल नहीं करता है, मजबूरी में ही हड़ताल करना पड़ता है। शालाओं में बच्चों को पढ़ाना अति महत्वपूर्ण है। बावजूद इसके ना चाहते हुए भी शिक्षक हड़ताल को मजबूर हैं।
शासन को समय-समय पर देय महंगाई भत्ता को रोक कर रखना न्याय संगत नहीं है। महंगाई अपने चरम पर है और कर्मचारी इस महंगाई की मार को झेल रहा है। विगत 2 सालों से महंगाई भत्ता सही समय पर नहीं मिल रहा है, जिसका खामियाजा आम कर्मचारी अधिकारी को भुगतना पड़ रहा है।