Employees Regularization: लाखों संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण (Contract Employees Regularization) पर मुहर लगा दी है।
कोर्ट का यह फैसला होली से ठीक पहले आया है, जो संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। इस निर्णय से लाखों संविदा कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है जो लंबे समय से नियमितीकरण की मांग कर रहे थे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि सभी संविदा कर्मचारियों को अब स्थायी कर्मचारी का दर्जा और वेतन-भत्ते मिलेंगे।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बारहमासी/स्थायी प्रकृति के काम करने वाले सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाना चाहिए। इसका मतलब है कि अब सभी संविदा कर्मचारियों को स्थायी नौकरी का लाभ मिलेगा।
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देश की सर्वोच्च अदालत ने साफ किया है कि बारहमासी/स्थायी प्रकृति के काम करने के लिए नियोजित श्रमिकों को अनुबंध श्रमिक नहीं माना जा सकता।
इसका मतलब है कि उन्हें सिर्फ स्थायी नौकरी के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।
यह फैसला महानदी कोलफील्ड्स में काम करने वाले 32 संविदा कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया गया था।
इनमें से 19 कर्मचारियों को स्थायी कर दिया गया था, जबकि 13 को अनुबंध कर्मचारी के रूप में ही छोड़ दिया गया था।
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जबकि सभी कर्मचारी एक ही तरह का काम करते थे, लेकिन 13 कर्मचारियों को नियमितीकरण का लाभ नहीं दिया गया था।
क्या होगा इस फैसले का असर?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का देशभर के लाखों संविदा कर्मचारियों पर सकारात्मक असर होगा। उन्हें अब स्थायी कर्मचारी का दर्जा और वेतन-भत्ते मिलेंगे, जिसमें बुनियादी वेतन, महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, ग्रेच्युटी और पेंशन शामिल हैं।
राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मुद्दा
संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का मामला राजनीतिक दलों के लिए चुनावी मुद्दा बन चुका था। हर चुनाव से पहले राजनीतिक दल संविदा कर्मियों को परमानेंट करने का वादा करते थे, लेकिन अब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया था।
हालांकि, कुछ राज्य सरकारों ने अपने अधिनस्त कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट ने संविदा और अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर बड़ा फैसला लिया है।
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हाई कोर्ट और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल का फैसला
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नरसिम्हा ने अपने आदेश में हाई कोर्ट और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के फैसले को भी बरकरार रखा है।
इन फैसलों में कहा गया था कि रेलवे लाइन के किनारे सफाई करने वाले मजदूरों को स्थायी कर्मी का दर्जा और वेतन-भत्ते का लाभ दिया जाना चाहिए।
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