जानिए… डोण्डा पेद्दा के वंशजों को क्यों तलाश रही है सरकार ? कौन थे ये शख्स और 110 साल बाद इनकी याद क्यों आई
पंकज दाऊद @ बीजापुर। यहां से कोई 35 किमी दूर बसे गांव पुसनार के डोण्डा पेद्दा नाम के शख्स भले ही इस दुनिया में नहीं है लेकिन 110 साल बाद सरकार को इनकी याद आई है और अफसर अब इनके वंशजों के बारे में पता लगा रहे हैं।
इस सिलसिले में रायपुर और जगदलपुर से आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के अफसर आए हुए हैं। संस्थान की डायरेक्टर श्रीमती शम्मी आबिदी के मार्गदर्शन में ये अफसर काम कर रहे हैं।
जगदलपुर से आए संस्थान के उप संचालक डॉ रूपेन्द्र कवि एवं सहायक संचालक डॉ राजेन्द्र सिंह ने बताया कि डोण्डा पेद्दा के बारे में सारे मालूमात के लिए वे गंगालूर तक गए थे लेकिन फिर वे उसके आगे नहीं जा सके। कुछ अड़चन के कारण वहां तक पहुंचना मुश्किल था।
गंगालूर में इस बारे में उन्होंने रिटायर्ड शिक्षक यामा कावरे से चर्चा की। उनसे काफी कुछ बातें पता चलीं। डॉ कवि एवं डॉ सिंह के मुताबिक दरअसल, ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ उठ खड़े हुए आदिवासी नेताओं के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है और ऐसे वीरों के बारे में एक पुस्तक का प्रकाशन किया जाना है।
अनसंग हीरोज की जानकारियां इसी वजह से जुटाई जा रही है। उन्होंने कहा कि 1910 में ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ बस्तर में एक विद्रोह शुरू हुआ और ये विद्रोह आदिवासियों ने किया था। ये भूमकाल विद्रोह के नाम से जाना जाता है। बस्तर के कई हिस्सों में ये विद्रोह हुआ और अलग-अलग इलाकों में इसके लीडर भी अलग-अलग थे।
बीजापुर इलाके में तब पुसनार के मुरिया जनजाति के डोण्डा पेद्दा भूमकाल विद्रोह की अगुवाई कर रहे थे। अंग्रेज शासन ने डोण्डा समेत पांच लोगों को विद्राही मानते उम्र कैद की सजा दी।
इस इलाके के अन्य चार लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। डोण्डा लंबी-चौड़ी कद काठी के थे और इलाके में उनका खासा प्रभाव था।
गुण्डाधूर का नाम नंबर 1 पर
जगदलपुर ब्लॉक के नेतानार गांव के गुण्डाधूर का नाम भूमकाल में सबसे उपर था। कांकेर जिले के अंतागढ़, दंतेवाड़ा जिले के कुआकोण्डा और सुकमा जिले के कोण्टा इलाके तक विद्रोह की आग भड़क चुकी थी। इस दौरान आजादी की लड़ाई के इन सेनानियों को उम्र कैद और फांसी तक दी गई।
ऐसे जनजातीय नायकों के बारे में पहली बार आदिम जाति विभाग जानकारियां जुटा रहा है। पुस्तक के प्रकाशन से कई गुमनाम नायकों के बारे में नई पीढ़ी को पता चलेगा।
रोड्डा के नाम पर चौक
भूमकाल विद्रोह के एक लीडर दंतेवाड़ा जिले के कुआकोण्डा ब्लॉक के गढ़मेली गांव के रोड्डा पेदा भी थे। इनके वंशजों से अनुसंधान टीम की मुलाकात हुई। काफी कुछ रोड्डा के बारे में पता चला। गांव में इनके नाम पर चार साल पहले एक चौक भी बना दिया गया है।
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